भारतीय संविधान की अनुसूचियाँ
भारतीय संविधान की अनुसूचियाँ
● भारतीय संविधान के मूल भाग में 8 अनुसूचियाँ थी, लेकिन वर्तमान में 12 अनुसूचियाँ है–
1. प्रथम अनुसूची – इसके अन्तर्गत भारत के राज्यक्षेत्र को परिभाषित किया गया है। अर्थात् इसमें 28 राज्यों तथा 8 संघ शासित प्रदेशों के नामों का उल्लेख है।
2. द्वितीय अनुसूची – इसके अंतर्गत संवैधानिक पदाधिकारियों को दिए जाने वाले वेतन का उल्लेख है।
नोट :- इस अनुसूची में उपराष्ट्रपति के वेतन का उल्लेख नहीं है। क्योंकि उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होने के कारण उन्हें सभापति के रूप में ही वेतन मिलता है।
3. तृतीय अनुसूची – इसके अन्तर्गत विभिन्न संवैधानिक पदाधिकारियों द्वारा ली जाने वाली शपथ के प्रारूप का उल्लेख हैं।
नोट :- राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति तथा राज्यपाल की शपथ का उल्लेख इस अनुसूची में नहीं होकर उससे संबंधित अनुच्छेद में है।
4. चौथी अनुसूची – इसके अन्तर्गत राज्यसभा के निर्वाचित होने वाले स्थानों का आवंटन विभिन्न राज्यों में किया गया है।
5. पाँचवीं अनुसूची – इसके अन्तर्गत अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन और नियंत्रण का उल्लेख है।
6. छठी अनुसूची – इसके अन्तर्गत असम, मेघालय, मिजोरम तथा त्रिपुरा के अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन का उल्लेख है।
7. सातवीं अनुसूची – इसके अन्तर्गत केन्द्र व राज्यों के बीच विषयों का बँटवारा किया गया है। जिसके तहत तीन सूचियाँ बनाई गई है–
(i) संघ सूची – इस सूची में दिए गए विषयों पर कानून बनाने का अधिकार केन्द्र सरकार को है।
● मूल रूप से 97 विषय, वर्तमान में 100 विषय शामिल है।
● देश की प्रतिरक्षा, विदेशी मामले, युद्ध एवं शांति, रेल, डाक, तार व मुद्रा, परमाणु शक्ति, बैंकिंग इत्यादि।
(ii) राज्य सूची – इस सूची में दिए गए विषयों पर कानून बनाने का अधिकार राज्य सरकार को है।
● मूल रूप से 66 विषय, वर्तमान में 61 विषय शामिल है।
● पुलिस, जेल, स्थानीय शासन, कृषि, जन-स्वास्थ्य, न्याय विभाग आदि
(iii) समवर्ती सूची – इसके अन्तर्गत दिए गए विषय पर केन्द्र एवं राज्य दोनों कानून बना सकते हैं। परन्तु केन्द्र का कानून ही मान्य होगा।
● मूल रूप से 47 विषय, वर्तमान में 52 विषय शामिल है।
दीवानी व फौजदारी कानून, शिक्षा, विवाह तथा तलाक, आर्थिक नियोजन वन, श्रमिक संघ, जनसंख्या, माप-तोल, वन्यजीव आदि।
8. आठवीं अनुसूची – इसके अन्तर्गत विभिन्न भाषाओं को मान्यता दी गई है।
नोट :- मूल संविधान में इसमें 14 भाषाओं का उल्लेख था।
वर्तमान में इसमें 22 भाषाओं का उल्लेख है।
नोट :-
(I). 21 वाँ संविधान संशोधन, 1967 – सिंधी (15वीं)
(II). 71 वाँ संविधान संशोधन, 1992 – कोंकणी, मणिपुरी, नेपाली (16,17,18)
(III). 92 वाँ संविधान संशोधन, 2003 – बोडो, डोगरी, मैथिली, संथाली (19,20,21,22)
9. नौवीं अनुसूची – इसके अन्तर्गत उन विषयों का उल्लेख है जिन्हें न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है।
नोट :- इस अनुसूची को 'प्रथम संविधान संशोधन' के द्वारा 1951 में जोड़ा गया।
नोट :- सभी भूमि सुधार कानूनों का उल्लेख इसी अनुसूची में हैं।
नोट :- केशवानंद बनाम केरल राज्य के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि 24 अप्रैल, 1973 के बाद कोई नया कानून 9वीं अनुसूची में शामिल किया गया और यदि वह संविधान की 'आधारभूत संरचना' का उल्लंघन करता है तो उसे न्यायपालिका में चुनौती दी जा सकेगी।
10. दसवीं अनुसूची – यह संविधान में 52 वें संशोधन, 1985 के द्वारा जोड़ी गई।
नोट :- इसमें दल-बदल से संबंधित प्रावधानों का उल्लेख है।
नोट :- 91 वें संविधान संशोधन द्वारा वर्ष 2003 में दल-बदल पर पूर्णत: रोक लगा दी गई।
11. ग्यारहवीं अनुसूची – इसके अन्तर्गत पंचायती राज संस्थाओं के 29 कार्यों का उल्लेख है।
नोट :- 73 वें संविधान संशोधन द्वारा वर्ष 1993 में इस अनुसूची को जोड़ा गया।
12. बारहवीं अनुसूची – इसके अन्तर्गत नगरपालिकाओं के 18 कार्यों का उल्लेख है।
नोट :- इसे 74 वें संविधान संशोधन, 1993 में जोड़ा गया था।
भारत के प्रमुख अनुच्छेद
- अनुच्छेद-1 – संघ और राज्य क्षेत्र का उल्लेख।
- वर्तमान में 28 राज्य 8 व केन्द्रशासित प्रदेश।
- अनुच्छेद-2 – नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना।
- अनुच्छेद-3 – नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं व नामों में परिवर्तन।
- अनुच्छेद-5 – संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता।
- अनुच्छेद-6 – पाकिस्तान से भारत को प्रवर्जन करने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार।
- अनुच्छेद-9 – विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित करने वाले व्यक्तियों का नागरिक न होना ।
- अनुच्छेद-10 – नागरिकता के अधिकारों का बना रहना।
- अनुच्छेद-11 – संसद द्वारा नागरिकता के अधिकार का विधि द्वारा विनियमन किया जाना।
- अनुच्छेद-13 – मूल अधिकारों से असंगत या अल्पीकरण करने वाली विधियों का शून्य होना।
- अनुच्छेद-14 – विधि के समक्ष समानता, विधियों का समान संरक्षण।
- अनुच्छेद-15 – धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर विभेद या प्रतिषेध।
- अनुच्छेद-16 – लोक नियोजन के विषय में अवसर की समता।
- अनुच्छेद-17 – अस्पृश्यता का अंत।
- अनुच्छेद-18 – उपाधियों का अंत।
- अनुच्छेद-19 – वाक्-स्वातंत्र्य आदि विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण।
- अनुच्छेद-20 – अपराधों के लिए दोषसिद्धी के संबंध में संरक्षण।
- अनुच्छेद-21 – प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण।
- अनुच्छेद-21 ‘क’ – 6-14 वर्ष तक के बच्चों के नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार।
- अनुच्छेद-22 – कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण।
- अनुच्छेद-23 – मानव के दुर्व्यापार एवं बलात् श्रम का प्रतिषेध।
- अनुच्छेद-24 – कारखानों में बालकों के नियोजन का प्रतिषेध।
- अनुच्छेद-25 – अन्त:करण की और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार की स्वतंत्रता।
- अनुच्छेद-26 – धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता।
- अनुच्छेद-27 – धर्म की अभिवृद्धि हेतु 'कर' (TAX) से स्वतंत्रता।
- अनुच्छेद-28 – कुछ शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा में उपस्थित होने की स्वतंत्रता।
- अनुच्छेद-29 – अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण।
- अनुच्छेद-30 – शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार।
- अनुच्छेद-32 – संवैधानिक उपचारों का अधिकार।
- अनुच्छेद-33 – इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों का, बलों आदि को लागू होने में, उपांतरण करने की संसद की शक्ति।
- अनुच्छेद-34 – जब किसी क्षेत्र में सेना विधि प्रवृत्त है तब इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों पर निर्बंधन।
- अनुच्छेद-38 – राज्य लोक कल्याण की अभिवृद्धि के लिए सामाजिक व्यवस्था बनाएगा।
- अनुच्छेद-39 ‘A’ – समान न्याय और नि:शुल्क विधिक सहायता।
- अनुच्छेद-40 – ग्राम पंचायतों का गठन।
- अनुच्छेद-41 – कुछ दशाओं में काम, शिक्षा और रोजगार पाने का अधिकार।
- अनुच्छेद-43 – कर्मकारों के लिए निर्वाह मजदूरी आदि।
- अनुच्छेद-43 ‘B’ – सहकारी समितियों का संवर्द्धन।
- अनुच्छेद-44 – समान नागरिक संहिता का प्रावधान।
- अनुच्छेद-47 – पोषाहार स्तर और जीवन को ऊँचा करने तथा लोक स्वास्थ्य का सुधार करने का राज्य का कर्तव्य।
- अनुच्छेद-48 – कृषि एवं पशुपालन का संगठन।
- अनुच्छेद-48 ‘क’ – पर्यावरण का संरक्षण तथा संवर्द्धन और वन तथा वन्यजीवों की रक्षा।
- अनुच्छेद-50 – कार्यपालिका से न्यायपालिका का पृथक्करण।
- अनुच्छेद-51 – अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि।
- अनुच्छेद-51 ‘क’ – मूल कर्तव्य।
- अनुच्छेद-52 – भारत का राष्ट्रपति।
- अनुच्छेद-53 – संघ की कार्यपालिका शक्ति।
- अनुच्छेद-54 – राष्ट्रपति का निर्वाचन।
- अनुच्छेद-55 – राष्ट्रपति के निर्वाचन की रीति।
- अनुच्छेद-56 – राष्ट्रपति की पदावधि।
- अनुच्छेद-57 – पुनर्निर्वाचन के लिए पात्रता।
- अनुच्छेद-58 – राष्ट्रपति निर्वाचित होने के लिए अर्हताएँ।
- अनुच्छेद-59 – राष्ट्रपति के पद के लिए शर्तें।
- अनुच्छेद-60 – राष्ट्रपति द्वारा शपथ।
- अनुच्छेद-61 – राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया।
- अनुच्छेद-63 – भारत का उपराष्ट्रपति।
- अनुच्छेद-64 – उपराष्ट्रपति का राज्य सभा का पदेन सभापति होना।
- अनुच्छेद-66 – उपराष्ट्रपति का निर्वाचन।
- अनुच्छेद-69 – उपराष्ट्रपति द्वारा शपथ।
- अनुच्छेद-71 – राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित विषय।
- अनुच्छेद-72 – क्षमा आदि की और कुछ मामलों में दण्डादेश के निलम्बन, परिहार व लघुकरण की राष्ट्रपति की शक्ति।
- अनुच्छेद-74 – राष्ट्रपति की सहायता के लिए मंत्रिपरिषद् का गठन।
- अनुच्छेद-75 (3) – मंत्रि-परिषद लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगी।
- अनुच्छेद-76 – भारत का महान्यायवादी।
- अनुच्छेद-77 – भारत सरकार की समस्त कार्यवाही राष्ट्रपति के नाम से की जाएगी।
- अनुच्छेद-79 – संसद का गठन।
- अनुच्छेद-80 – राज्यसभा का गठन व संरचना।
- अनुच्छेद-81 – लोकसभा का गठन व संरचना।
- अनुच्छेद-85 – संसद के सत्र, सत्रावसान और विघटन।
- अनुच्छेद-87 – राष्ट्रपति का विशेष अभिभाषण।
- अनुच्छेद-93 – लोकसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष।
- अनुच्छेद-105 – संसद के सदनों की तथा उनके सदस्यों और समितियों की शक्तियाँ, विशेषाधिकार आदि।
- अनुच्छेद-108 – कुछ दशाओं में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक।
- अनुच्छेद-110 – धन विधेयक की परिभाषा।
- अनुच्छेद-111 – विधेयकों पर अनुमति।
- अनुच्छेद-112 – वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट)।
- अनुच्छेद-123 – संसद के विश्रांतिकाल में राष्ट्रपति द्वारा अध्यादेश जारी करने की शक्ति।
- अनुच्छेद-124 – उच्चतम न्यायालय की स्थापना और गठन।
- अनुच्छेद-126 – कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति।
- अनुच्छेद-129 – उच्चतम न्यायालय का अभिलेख न्यायालय होना।
- अनुच्छेद-131 – उच्चतम न्यायालय की आरंभिक अधिकारिता।
- अनुच्छेद-137 – निर्णयों या आदेशों का उच्चतम न्यायालय द्वारा पुनर्विलोकन।
- अनुच्छेद-141 – उच्चतम न्यायालय द्वारा घोषित विधि का सभी न्यायालयों पर आबद्धकर होना।
- अनुच्छेद-142 – उच्चतम न्यायालय की डिक्रियों और आदेशों का प्रवर्तन और प्रकटीकरण आदि के बारे में आदेश।
- अनुच्छेद-143 – उच्चतम न्यायालय से परामर्श करने की राष्ट्रपति की शक्ति।
- अनुच्छेद-148 – भारत का नियंत्रक महालेखा परीक्षक।
- अनुच्छेद-153 – राज्यों के राज्यपाल।
- अनुच्छेद-154 – राज्यपाल की कार्यपालिका शक्ति।
- अनुच्छेद-155 – राज्यपाल की नियुक्ति।
- अनुच्छेद-156 – राज्यपाल की पदावधि।
- अनुच्छेद-159 – राज्यपाल द्वारा शपथ।
- अनुच्छेद-161 – क्षमा आदि कुछ मामलों में दंडादेश के निलंबन परिहार व लघुकरण की राज्यपाल की शक्ति।
- अनुच्छेद-163 – राज्यपाल को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रि-परिषद।
- अनुच्छेद-165 – राज्य का महाधिवक्ता।
- अनुच्छेद-167 – राज्यपाल को जानकारी देने आदि के संबंध में मुख्यमंत्री के कर्त्तव्य।
- अनुच्छेद-176 – राज्यपाल का विशेष अभिभाषण।
- अनुच्छेद-178 – विधानसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष।
- अनुच्छेद-194 – विधान-मंडलों के सदनों की तथा उनके सदस्यों और समितियों की शक्तियाँ, विशेषाधिकार आदि।
- अनुच्छेद-199 – धन विधेयक की परिभाषा।
- अनुच्छेद-200 – राज्यपाल की विधेयकों पर अनुमति।
- अनुच्छेद-201 – विचार के लिए आरक्षित विधेयक।
- अनुच्छेद-202 – वार्षिक वित्तीय विवरण।
- अनुच्छेद-213 – विधानमण्डल में विश्रांतिकाल में अध्यादेश जारी करने की राज्यपाल की शक्ति।
- अनुच्छेद-214 – राज्यों के लिए उच्च न्यायालय का प्रावधान।
- अनुच्छेद-215 – उच्च न्यायालयों का अभिलेख न्यायालय।
- अनुच्छेद-226 – कुछ रिट जारी करने की उच्च न्यायालय की शक्तियाँ।
- अनुच्छेद-235 – अधीनस्थ न्यायालयों पर नियंत्रण।
- अनुच्छेद-239 ‘AA’ – दिल्ली के संबंध में विशेष उपबंध।
- अनुच्छेद-241 – संघ राज्य क्षेत्रों के लिए उच्च न्यायालय।
- अनुच्छेद-243 'A' – ग्राम सभा।
- अनुच्छेद- 243 ‘G’ – पंचायतों की शक्तियाँ, प्राधिकार और उत्तरदायित्त्व।
- अनुच्छेद-243 ‘I’ – वित्तीय स्थिति के पुनर्विलोकन के लिए वित्त आयोग का गठन।
- अनुच्छेद-243 ‘K’ – पंचायतों के लिए निर्वाचन।
- अनुच्छेद-243 ‘Q’ – नगरपालिकाओं का गठन।
- अनुच्छेद-243 ‘Y’ – नगरपालिकाओं का वित्त आयोग।
- अनुच्छेद-243 ‘ZA’ – नगरपालिका के लिए निर्वाचन।
- अनुच्छेद-243 ‘ZD’ – जिला योजना समिति।
- अनुच्छेद-246 – संसद द्वारा राज्यों के विधानमंडल द्वारा बनाई गई विधियों की विषय वस्तु।
- अनुच्छेद-249 – राज्य सूची में विषय के संबंध में राष्ट्रीय हित में विषय बनाने की संसद की शक्ति।
- अनुच्छेद-254 – संसद द्वारा बनाई गई विधियों और राज्यों के विधान मंडलों द्वारा बनाई गई विधियों में असंगति।
- अनुच्छेद-262 – अंतरराज्यिक नदियों या नदी-दूनों के जल संबंधी विवादों का न्याय निर्णयन।
- अनुच्छेद-263 – अन्तर राज्य परिषद् के संबंध में उपबंध।
- अनुच्छेद-266 – भारत और राज्यों की संचित निधियाँ और लोक लेखे।
- अनुच्छेद-267 – आकस्मिकता निधि।
- अनुच्छेद-279 ‘क’ – माल और सेवाकर परिषद् (GST)
- अनुच्छेद-280 – वित्त आयोग।
- अनुच्छेद-300 ‘क’ – सम्पत्ति का अधिकार।
- अनुच्छेद-312 – अखिल भारतीय सेवाएँ।
- अनुच्छेद-315 – संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोग
- अनुच्छेद-323 – लोक सेवा आयोग के प्रतिवेदन।
- अनुच्छेद-324 – निर्वाचन आयोग।
- अनुच्छेद-326 – लोक सभा और राज्यों की विधान सभाओं के लिए निर्वाचन का वयस्क मताधिकार के आधार पर होना।
- अनुच्छेद-330 – लोकसभा में SC और ST के लिए स्थानों का आरक्षण।
- अनुच्छेद-331 – लोकसभा में आंग्ल-भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व।
- अनुच्छेद-332 – राज्य की विधानसभा में SC और ST के लिए स्थानों का आरक्षण।
- अनुच्छेद-333 – राज्यों की विधान सभाओं में आंग्ल भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व।
- अनुच्छेद-338 – राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग।
- अनुच्छेद-338 ‘A’ – राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग।
- अनुच्छेद-343 – संघ की राजभाषा।
- अनुच्छेद-344 – राजभाषा के संबंध में आयोग और संसद की समिति।
- अनुच्छेद-350 ’A’ – प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की सुविधाएँ।
- अनुच्छेद-351 – हिंदी भाषा के विकास के लिए निदेश।
- अनुच्छेद-352 – राष्ट्रीय आपातकाल।
- अनुच्छेद-356 – राष्ट्रपति शासन।
- अनुच्छेद-359 – आपात के दौरान भाग-3 द्वारा प्रदत्त अधिकारों के प्रवर्तन का निलंबन।
- अनुच्छेद-360 – वित्तीय आपातकाल।
- अनुच्छेद-361 – राष्ट्रपति और राज्यपालों और राजप्रमुखों का संरक्षण।
- अनुच्छेद-368 – संविधान संशोधन करने की प्रक्रिया।
- अनुच्छेद-370 – जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में अस्थायी उपबंध।
- अनुच्छेद-393 – इस संविधान का संक्षिप्त नाम ‘भारत का संविधान’ है।
- अनुच्छेद-394 ’A’ – हिंदी भाषा में प्राधिकृत पाठ।
भारत के प्रमुख संविधान संशोधन
· भारतीय संविधान में संशोधन की प्रक्रिया को तीन भागों में बाँटा गया है–
1. साधारण बहुमत द्वारा
2. विशेष बहुमत द्वारा
3. विशेष बहुमत तथा आधे से अधिक राज्यों के बहुमत द्वारा
नोट :- अनुच्छेद-368 में संविधान में संशोधन की प्रक्रिया का उल्लेख है। उपर्युक्त 2 व 3 में दिया गया संशोधन अनुच्छेद-368 के तहत है।
· प्रथम संविधान संशोधन – वर्ष 1951 में इसमें 9वीं अनुसूची जोड़ी गई।
· सातवाँ संविधान संशोधन – वर्ष 1956 में भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन 14 राज्यों व 6 संघ शासित क्षेत्रों में किया गया।
· दसवाँ संविधान संशोधन – वर्ष 1961 में दादर एवं नगर हवेली को भारत में शामिल कर केन्द्रशासित प्रदेश का दर्जा दिया गया।
· बारहवाँ संविधान संशोधन – वर्ष 1962 में गोवा, दमन एवं दीव को भारत में संघ शासित प्रदेश के रूप में शामिल किया गया।
· तेरहवाँ संविधान संशोधन – वर्ष 1962 में नागालैण्ड के संबंध में विशेष प्रावधान किए गए।
· पन्द्रहवाँ संविधान संशोधन – वर्ष 1963 में इसके द्वारा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई।
· इक्कीसवाँ संविधान संशोधन – वर्ष 1967 में इसके तहत सिंधी भाषा (15वीं) को संविधान की आठवीं अनुसूची में जोड़ा गया।
· चौबीसवाँ संविधान संशोधन – वर्ष 1971 में इसके तहत अनुच्छेद 13 और अनुच्छेद 368 में संशोधन किया गया। अनुच्छेद 368 द्वारा यह स्पष्ट कर दिया गया कि इसमें संविधान संशोधन करने की प्रक्रिया एवं शक्ति दोनों शामिल हैं तथा अनुच्छेद 13 की कोई बात संविधान संशोधन विधि पर लागू नहीं होगी।
· छब्बीसवाँ संविधान संशोधन – वर्ष 1971 में इसे माधव राव सिंधिया बनाम भारत संघ (प्रीवी पर्स मामले) में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय की कठिनाइयों को दूर करने के लिए पारित किया गया था।
· 31वाँ संविधान संशोधन – वर्ष 1973 में लोकसभा सदस्यों की संख्या 525 से 545 कर दी गई है।
· 36वाँ संविधान संशोधन – वर्ष 1975 में इसके द्वारा सिक्किम को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया।
· 39वाँ संविधान संशोधन – वर्ष 1975 में इसके द्वारा राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष और प्रधानमंत्री के निर्वाचन संबंधी विवादों को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकेगी।
· 42वाँ संविधान संशोधन – वर्ष 1976 में संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवादी, पंथ निरपेक्षता और अखण्डता' नामक शब्द जोड़े गए है।
· 44वाँ संविधान संशोधन (लघु संविधान) – वर्ष 1978 में राष्ट्रीय आपातकाल में 'आंतरिक अंशाति' के स्थान पर 'सशस्त्र विद्रोह' शब्द लिखा गया।
· 52वाँ संविधान संशोधन – वर्ष 1985 में इसके द्वारा संविधान में 10वीं अनुसूची को जोड़कर दलबदल रोकने के लिए प्रावधान किया गया था।
· 56वाँ संविधान संशोधन – वर्ष1987 के तहत गोवा को भारत के संविधान की पहली अनुसूची में शामिल किया गया था।
· 61वाँ संविधान संशोधन – वर्ष 1989 में मतदाता की मतदान हेतु आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष की गई।
· 69वाँ संविधान संशोधन – वर्ष 1991 में दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र घोषित किया।
· 70वाँ संविधान संशोधन – वर्ष 1992 में इसके द्वारा दिल्ली तथा पुदुचेरी संघ राज्य क्षेत्रों के विधानसभा सदस्यों को राष्ट्रपति के निर्वाचक मण्डल में शामिल करने का प्रावधान किया गया।
· 71वाँ संविधान संशोधन – वर्ष 1992 में इसके द्वारा आठवीं अनुसूची में तीन भाषाओं कोंकणी, मणीपुर और नेपाली को शामिल किया गया।
· 73वाँ संविधान संशोधन – वर्ष 1992 में इसके द्वारा पंचायती राज की व्यवस्था का उपबन्ध किया गया।
· 74वाँ संविधान संशोधन – वर्ष 1992 में इसके द्वारा नगरपालिका की व्यवस्था का उपबन्ध किया गया।
· 86वाँ संविधान संशोधन – वर्ष 2002 में इसके द्वारा 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए अनिवार्य एवं नि:शुल्क शिक्षा हेतु अनुच्छेद 21A जोड़ा गया।
· 89वाँ संविधान संशोधन – वर्ष 2003 में इसके द्वारा अनुच्छेद 338A को जोड़कर अनुसूचित जनजाति के लिए पृथक् राष्ट्रीय आयोग की स्थापना का प्रावधान किया गया।
· 91वाँ संविधान संशोधन – वर्ष 2003 में इसके द्वारा 10 वीं अनुसूची में संशोधन कर दल-बदल व्यवस्था को और अधिक कठोर बनाया गया।
– मंत्रिपरिषद् की सदस्य संख्या लोकसभा तथा विधानसभा के कुल सदस्य संख्या का 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।
· 92वाँ संविधान संशोधन – वर्ष 2003 में इसके द्वारा संविधान की आठवीं अनुसूची में चार नई भाषाओं बोडो, डोंगरी, मैथिली और संथाली को शामिल किया गया।
· 97वाँ संविधान संशोधन – वर्ष 2011 में इस संशोधन द्वारा अनुच्छेद 19(1)(c) में ‘सहकारी समितियां’ नामक शब्द जोड़ा गया।
· 99वाँ संविधान संशोधन – वर्ष 2014 में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग से संबंधित था, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया।
· 100 वाँ संविधान संशोधन – वर्ष 2015 में भारत-बांग्लादेश के बीच जमीन का हस्तान्तरण।
· 101वाँ संविधान संशोधन – वर्ष 2016 में 'वस्तु एवं सेवाकर (GST)' लागू किया गया।
· 102 वाँ संविधान संशोधन – वर्ष 2018 में 'राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग' के गठन का प्रावधान।
· 103वाँ संविधान संशोधन – वर्ष 2019 में 'आर्थिक वंचना' को पिछड़ेपन का आधार मानते हुए 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई।
· 104वाँ संविधान संशोधन – वर्ष 2019 में S.C. व S.T. के लिए आरक्षण की अवधि को दस वर्षों के लिए बढ़ाया गया।
· लोकसभा और विधानसभा में 'एंग्लो-इण्डियन' के लिए सीटों के
आरक्षण को समाप्त कर दिया गया है।
· 105वाँ संविधान संशोधन – वर्ष 2021 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की शक्तियाँ और जिम्मेदारियाँ स्वतंत्र राज्य सूचियों पर लागू नहीं होती हैं।
· 106वाँ संविधान संशोधन (128वाँ संशोधन विधेयक) – प्रत्येक राज्य की विधानसभा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा में कुल सीटों में से एक तिहाई सीटों को 15 वर्षों के लिए महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रावधान करता है।
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